Sunday 18 August 2013

एक चिंतन :
देश में आरक्षण की सियासत भले ही कुछ मौकापरस्तों के लिए मुनाफे का सौदा हो,मगर जातियों के नाम पर आरक्षण मांगने वालों को यह मानसिक रूप से विकलांग बना रही है। उन्हें अपने क्षणिक स्वार्थ तो इसमें दिखाई दे रहे हैं , मगर अपनी अक्षमता सिद्ध करके वह क्या हासिल करना चाहते हैं , यह हर किसी बुद्धिजीवी की समझ से परे है।
- सुधाकर आशावादी