Thursday 23 October 2014

किसी भी राष्ट्र के समग्र विकास के लिए अभिप्रेरणा की महत्वपूर्ण भूमिका है। महानायक भी वही बन सकता है. जिसका व्यक्तित्व अभिप्रेरणा प्रदान करने वाला हो।  देश में संसाधनों की कमी नहीं है , यदि कोई कमी है,तो वह है संसाधनों के उपयोग के लिए ईमानदार भावना एवं कर्तव्यनिष्ठा की। यह दायित्व केवल किसी एक व्यक्ति का नहीं है। निसंदेह देश का सौभाग्य है कि इसे एक लम्बे अंतराल के उपरान्त एक कर्तव्यनिष्ठ और अभिप्रेरक व्यक्तित्व दिशानायक के रूप में मिला है , ऐसे में आमजन को भी अपने दायित्व का निर्वहन करते हुए देश के कोने कोने में जाकर जनमानस को राष्ट्रोत्थान के प्रति अभिप्रेरित करना चाहिए। क्योंकि किसी भी राष्ट्र का सर्वांगीण विकास जन भागीदारी के बिना संभव नहीं है।
- डॉ. सुधाकर आशावादी
दीवाली निसंदेह हिन्दू धर्म के अनुयायियों के लिए बड़ा पर्व है , साफ़ सफाई और अपने आप को समाज के सम्मुख समृद्ध दर्शाने की होड़ वाला पर्व। सवाल है कि पहले भारतीय संस्कृति साझा पर्वों पर आधारित थी , समाज में जब साझा स्वरुप अधिक मायने रखता था, गाँव में पर्व मनाने में जातिगत और धर्मगत भेद नहीं थे। फिर ये भेद कैसे उत्पन्न हो गए। धर्म की कट्टरता ने मानव मानव में भेद क्यों कर दिया। समाज के निर्माण में बढ़ई , जुलाहा , कहार , प्रजापति ,चर्मकार ,दरजी ,नाई  सभी की भागीदारी उपयोगी हुआ करती थी , मगर आज समाज को आधुनिकता और अधिकारों के नाम पर जिस तरह समाज का बंटवारा हुआ है , उसने हर आदमी में दम्भ का समावेश कर दिया है, यही स्थिति समाज के पतन का कारण बन रही है।
- सुधाकर आशावादी

Thursday 16 October 2014

 लोकतंत्र में जनभावनाओं का सम्मान सर्वोपरि है,किन्तु सभी अपने अपने पूर्वाग्रह पाले हुए हैं। हम इसीलिए परेशान हैं , कि सारे के सारे एग्जिट पोल हमारे पूर्वाग्रहों पर पानी फेर रहे हैं। भैया जल्दी असली पोल बताओ ….... हमारी रातों की नींद और दिन का चैन गायब हो चुका है।
- सुधाकर आशावादी

Monday 13 October 2014

नाम : आशू , सोनू ,गुड्डू , बबलू ,नीटू [ कुछ भी ]
शिक्षा : स्कूल के दर्शन नहीं।
स्टाइल : आँखों पर काला चश्मा, हाथ में चाइनीज मोबाईल , टशन फ़िल्मी।
काम : गर्ल्स कॉलिज के इर्द गिर्द घूमना।
उद्देश्य : सपनों में जीने वाली किशोरियों को फाँसना, उसके उपरांत उन्हें देह व्यापार के धंधे में धकेलकर उनकी कमाई से रोटी खाना।
अक्ल की अंधी बालिकाएं जब तक इस सच को समझती हैं , तब तक वह बर्बाद हो चुकी होती हैं।
…… समूचे समाज का दायित्व है कि समाज को ऐसे तत्वों से छुटकारा दिलाने के लिए गंभीर प्रयास करें , समाज की बेटियों को अच्छे संस्कार प्रदान करें। यदि कोई ऐसा तत्व बेटियों को भ्रमित करने का प्रयास करता हुआ पाया जाय , तो उसे ऐसा सबक सिखाएं , जिससे उसकी आगे आने वाली नस्लें भी ऐसे कुकृत्य से तौबा करने पर विवश हों।
- सुधाकर आशावादी