Tuesday 8 April 2014

मैं आम नागरिक हूँ :

मैं व्यक्ति विशेष का प्रंशसक नहीं वरन विकास का हिमायती हूँ।
सवाल राष्ट्र का है राष्ट्रीय स्वाभिमान एवं चहुँमुखी विकास का है।
क्या मैं किसी एक खानदान के नाम पर ही समर्पित होकर इसलिए उस खानदान के लिए वोट दूँ कि उस खानदान के पालतू पशु को भी उसके कुछ अनुयायी मालिक की तरह स्वीकारते है ?
क्या मैं कुबेरवती को इसलिए वोट दूँ कि वह अपनी सनक में जगह जगह अपनी मूर्तियाँ पर्स सहित लगवा दे कि मेरी भूख नहीं मिटेगी बस मेरा पर्स भरते रहो ?
क्या मैं सिर्फ एक मज़हब का तुष्टिकरण करने वाले उस परिवार को वोट दूँ जिसका भाई,बेटा , बहू , भतीजा सभी सत्ता सुख भोगने में जुटे हैं, जिनका एकमात्र मुद्दा कुर्सी से चिपकना है , जिनका समाजवाद अपने और अपने परिवार से शुरू होकर अपने खानदान तक ही सीमित है ?
क्या उस झाड़ू मास्टर को वोट दूँ , जो स्वयं दिग्भ्रमित है , जिसे अपना नहीं पता कि उसकी कथनी करनी क्या है , गिरगिट भी जिसके सम्मुख अपना वजूद तलाशने के लिए भटक रहा है ?
….... बताइये देश के सम्मुख विकल्प कौन सा है , अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश को सशक्त बनाना है , तो सही विकल्प चुनिए , देश में केवल एक ही विकल्प है और वह विकल्प आज समूचा देश जानता है। सो देश की खातिर सही विकल्प चुनें , अन्यथा देश हमें कभी क्षमा नहीं करेगा।
- सुधाकर आशावादी