अपने घर में भी झाँकियें ज़नाब ?
हम फिलिस्तीन के लिए छाती पीट रहे हैं , इजराईल को कोस रहे हैं।
मानवता के अलम्बरदार हैं हम, मगर अमरनाथ यात्रा के दुश्मनों के खिलाफ हमारे
पास शब्द नहीं हैं। मानवता का तकाजा है कि जीयो और जीने दो के भाव से
सबका सम्मान करें , किन्तु यदि कोई न सुधरे तो क्या उसका समुचित इलाज नहीं
किया जाना चाहिए उसके रोग की सही पहिचान करके ?
- सुधाकर आशावादी